परिचय -ऋषभदेव घिमिरे ,महासचिव
अन्तर्राष्ट्रीय नेपाली साहित्य समाज,नेपाल च्याप्टर

कविता का युग
मैं व्यस्त शहरका
एक मुसाफिर
वक्त ने सहि किया या बुरा
मैने नहि टोका समयको
कुछ सपने थे कुछ पुकारा था
वक्त ने कह दिया
अौर पुकार करो
कुछ सयम वाद पुरे होंगेँ
सपनोकी ख्वाहिस
बहुत व्यस्त हूँ मै
किसिको पता नही
कभी नही रुकती है मेरी कलम
मै एक मुसाफिर कवि
मैने समझौता किया था कविता से
अब जिन्दगी तेरा हि साथ बिताउगीं
मै वक्तको इन्तजार करते करते
आगे बढा
साथसाथ चलि कविताकि यात्रा
आखिर वक्त कि हार हुइ
वक्त तो वक्त थे
मेरा कविता कोहि पढे या ना पढे
मै लिखता रहा कविता गाती रहि
मै रुकूँगा नही युग रुकेगा नहि
यह समय केवल कविता कि है ।
– ऋषभदेव घिमिरे