थकान मन की

थकान मन की 

 कभी कभी हम थक जाते हैं, 

और बहुत थक जातें –

काम के कारण नहीं, 

बदलते व्यवहार और 

चाल के कारण…….. 

चरित्र के कारण……. 

अभी छोटी समझ के कारण…. 

अपनेपन के कारण….. 

लोगों कितने पराये हैंं और 

कितने अपने यह समझ ना पाने के कारण

हम तब और भी थक जाते हैं –

हम अपनी भावुकता के सहारे 

इस भौतिक दुनिया में जीने और जीने की जिद के कारण… 

बहुत बूरी तरह थकते ही नहीं 

खुद को बेसहारा पाते हैं तब……

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