विशेष निपुणता
विशेष निपुणता भाषा कौशल का अभिन्न अंग है . विशेष निपुणता से हमारी सम्प्रेषण क्षमता का विकास होता है . विधि व्यवसाय में लेखन और वाचन का बहुत महत्व है ,जिससे हम अपने पक्ष को प्रभावी ढंग रख सकने में सक्षम होते हैं . विधि के क्षेत्र में ड्राफ्टिंग का महत्व सभी जानते हैं, ड्राफ्टिंग के साथ- साथ अपनी बातों को हमें किस रूप में प्रस्तुत करना है, यह हम भाषा ज्ञान द्वारा ही जान सकते हैं . भाषा कौशल के निम्नलिखित अंग हैं –
1.वाचन
2.लेखन
3. पाठन
1.वाचन -वाचन का आशय बोलने से है . बोलना और प्रभावी ढंग से बोलना दोनों दो बातें हैं . बोलते तो सभी लोग हैं ,लेकिन कुछ लोग ऐसा बोलते हैं कि हम उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह पते . यह वाचन का कौशल ही है कि हम प्रभावित हो जाते हैं . कब क्या बोलना है ?और कैसे बोलना है ?यह विशेष निपुणता हासिल करके ही जान सकते हैं . शब्दों का चयन और उनके क्रम का निर्धारण और बोलने का लहजा विशेष निपुणता के अंग हैं .
2. लेखन -भाषा कौशल का दूसरा महत्वपूर्ण अवयव लेखन है ,लेखन को कला के रूप में भी स्वीकार किया गया है. यदि हम अपने वक्तव्य को व्यवस्थित ढंग से लिखकर तैयार कर लेते हैं तो हमारी प्रस्तुति और भी प्रभावकारी होगी और हम अपनी बातों को सम्यक तरीके से लोगों तक पंहुचा सकेंगे . भाषिक निपुणता के लिए भाषा लिखने के की प्रविधि और भाषा व्याकरण का ज्ञान होना अति आवश्यक है . वर्णमाला और उसके मात्राओं का ज्ञान हमारी लेखन कला का अभिन्न हिस्सा है , लेखन द्वारा हम भाषा क्षमता से पूरित हो जाते हैं . विशेष निपुणता में लेखन का अपना अलग ही महत्व है .
3. पाठन – पाठ को पढ़ना और उसे जानना पठान कौशल द्वारा ही हम जान सकते हैं , भाषा सिखानेऔर सिखने में पठान का विशेष महत्व है . पाठन के द्वारा ही हम पाठ को समझ एवं जन सकते हैं ,इस दृष्टि से पाठन भाषा ज्ञान का अनिवार्य अंग है . विवेचन और विश्लेषण की प्रक्रिया में पाठ को सही ढंग से पढ़ना अत्यंत महत्वपूर्ण है ,जो हम पाठन कौशल से ही सिख पाते हैं . विधि के विद्यार्थियों के लिए पाठन निपुणता एक विशेष योग्यता के रूप में जानी जाती है .